माँ बग्लामुखी श्रीवृद्धि ज्योतिष संस्थान आपके कल्याण हेतु दश महाविद्याओं में सर्वप्रथम महाविद्या माता " काली " की आराधना लेकर आए हैं, तंत्र, तथा अघोर की अधिष्ठात्री देवी माता काली के श्री चरणों में हम प्रणाम करते हैं, माता काली सत्, रज, तम, त्रिगुणात्मयी हैं तथा तीन नेत्रों वाली हैं जो भक्त माता काली की पवित्र आचरण से आराधना करता है बह समय से पूर्व ही सिद्धि, शक्ति, तथा भक्ति को प्राप्त कर लेता है, जो भक्त माता काली के कवच इत्यादि के 11 हजार पाठ कराता है उसके समस्त रोग इत्यादि का अतिशीघ्र नाश हो जाता है, तथा जो भक्त श्री ( लक्ष्मी ), संपत्ति, न्यायालय संबंधित कार्य, संतान प्राप्ति, प्रेम संबंधित कार्य, वशीकरण, इत्यादि कार्य के लिए यदि 1,25,000 पाठ का अनुष्ठान कराता है तो उसे इस सृष्टि के समस्त सुखों का भोग भोगकर अंत में भगवती के श्री चरणों में विलीन होता है।
माता काली का प्रादुर्भाव देवासुर संग्राम के मध्य समय रक्तबीज नामक महापराक्रमी असुर के वध करने के लिए हुआ ,क्योंकि इस महा भयंकर असुर को यह वरदान प्राप्त था कि जब इसके रक्त की एक बूंद भी यदि धरा पर गिर गयी तो इसी के समान सहस्र असुर उत्पन्न हो जाऐंगे ,जब देवी ने इस प्रतापी असुर से संग्राम किया तो युद्ध समय में इस असुर के रक्त की एक बूंद धरा पर गिर गयी ,उससे अनेक रक्तबीज उत्पन्न हो गये ,इस प्रकार असुरों का संख्यावल देखकर देवी ने उनका भक्षण करना प्रारम्भ कर दिया ,उपरोक्त जब यह असुर देवी के गर्भ में ही प्रकट होने लगे ,तदनंतर देवी ने अपने अंतःकरण की ज्वाला को प्रज्वलित किया और इस महा असुर का संहार किया।।
।। नमः ऐं क्रीं क्रीं कालिकायै स्वाहा ।।
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